સમુદ્ર कभी ग़मो के किनारे है कभी खुशीयो के सहारे ह

"સમુદ્ર कभी ग़मो के किनारे है कभी खुशीयो के सहारे है। कही लहरे, कही तूफान कही उमंगो के मुहाने है। बूँदे बनकर बारिश के झूमकर बरसाने है। कभी वाष्प बनकर फिर से आसमान में उड़ जाने है। ये जो जिंदगी है इसे सागर के धर्म निभाने है। ©संतोष"

 સમુદ્ર कभी ग़मो के किनारे है
कभी खुशीयो के सहारे है।
कही लहरे,  कही तूफान 
कही उमंगो के मुहाने है।
बूँदे  बनकर बारिश के
झूमकर बरसाने है। 
कभी वाष्प बनकर फिर से
आसमान में उड़ जाने है।
ये जो जिंदगी है
इसे सागर के धर्म निभाने है।

©संतोष

સમુદ્ર कभी ग़मो के किनारे है कभी खुशीयो के सहारे है। कही लहरे, कही तूफान कही उमंगो के मुहाने है। बूँदे बनकर बारिश के झूमकर बरसाने है। कभी वाष्प बनकर फिर से आसमान में उड़ जाने है। ये जो जिंदगी है इसे सागर के धर्म निभाने है। ©संतोष

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