रचना दिनांक 18,7,2021
वार रविवार
समय सुबह सात बजे
््
््शीर्षक ््
््जो तेरी चौखट पे आये,
वो तेरी नज़र से खाली हाथ
ना जाय ््
््
नशा करो तो इतना कि,
उसमें डुब जाने का मलाल ना हो।
जो अपने से लड़ते लड़ते
वो अपनी पहचान नहीं बना पाते।
अपनो से दूर रहकर भी,
जो खुशियों का आशियाना बनाते।
खूली आंखों से ख्वाब देखना,
वो जिन्दादिली का वो हिस्सा है।
मैं तुझसे अपनी कमियों का,
अहसास ना होने दूं।
मरते दम तक दिलों जान से,
तुझे मैं तलाशता रहूं।
कामयाबी मेरे दिल में,
वो गुमान बनकर ना आ जाय
वो नासूर मेरे कफ़न की,
चौखट ना बन जाय।
इतला कर देना मेरे होने का,
वजूद ना खो जाय।
यह मेहरबानी आपकी,
जो आपने मुझे बनाया।
कर दिया करो कुछ ऐसा,
मेरे हजूर।
जो तेरी चौखट पे आये,
वो तेरी नज़र से खाली
हाथ ना जाय।
््कवि शैलेंद्र आनंद ््
7 जून 2023
©Shailendra Anand
#happybirthdaygulzar