White रचना दिनांक,,,9,,,,11,,,2024,,
वार,,, शनिवार
समय,,, सुबह ्््पांच बजे
््््निज विचार ्््
्््भावचित्र ््््
्््शीर्षक ्््
््््हे मां भारती भगवती तेरे चरणों में मेरा शीश समर्पित करिष्यामि ््
्््
््््छाया चित्र में दिखाया गया कि चर्चारत विचार सच में बहुत सुंदर है,,
विचार सच में देश धर्म कर्म से ही एक नई दिशा लेकर चलते हैं,
मां शब्द में प्राणपण समर्पण भाव वंशानुगत देवत्व प्राप्त ,
देश धर्म कर्म दान पुण्य में सब कुछ लगन से,
शीश अपना मां भगवती चरणों में समर्पित करिष्यामि ््
््््कहत पुनि पुनि सुधि ले अपन में,,
ज्ञानरस ज्ञानयज्ञं यथायोग्य संस्कार है।।1।।
सब मिलहि प्रभु में एक नज़र सब धर्मों में,,
कारन कवन कुछ नाही आणि सुमंगला चार है।। 2।।
तन मन में सब कुछ है लेकिन सुखद है विश्राम,,
करत अभ्यास अंजना मानी,
सिंहवाहिनी दूर्गेश्वरी कालरात्रि सिद्धेश्वरी।।3।।
मनमंगल तनबुध्यश्चं नवमंशुक़ं मांदैवीयसिध्ददात्री,
चंद़ गुरुवर्य आराध्यमं पुज्यं श्रद्धा मेवच अष्टमंतिथि महागौरीश्चं ।।4 ।।
पुनश्चंस्मरणं महादेवीचं नवरात्र पर्व शुक़वासरे,, महादैवीय नवमंशुक़ं मांदैवीयसिध्ददात्रीचं,।।5 ।। चित्र मानस हदयं च पाण्डित्यं कर्म भूमि वर्चस्व,, ब़म्ह कर्ममंत्र यंत्र देवत्व कल्पना,
साधना तपस्या खुद में हो,।।6 ।।
संत समागम प्रेम शब्द है जाति धर्म भाषा से,
जन्मा सदविचार पर सच्चाई से ही चलना ही
मानव जीवन का कमंयोग आधार है।। 7 ।।
सद्गपुरुषो के सद्गुणों में संतुलनरखना
ही समय काल की गणना है,,
सत्य सनातन विचार सच में बहुत सुंदर सार है।। 8।।
्भावचित्र ् में मानसिक रूप में,अनेक निराले अंदाज समर्पण सनातन संस्कृति में गुंथी हुई,,
धुन में मगन मस्त रहो मस्ती छाई हुई है प्रेम शब्द में।।9 ।।
प्राणपण लफ्ज़ निकले नयन सजल नेत्रों से ,
देखा और कहा गया शहीद मां शब्द में ,,
प्राणपण समर्पण भाव वंशानुगत देवत्व प्राप्त
देश धर्म कर्म दान पुण्य में।।10।।
सब कुछ लगन से शीश अपना मां भगवती के चरणों में समर्पित करिष्यामि,,
नमन वन्दंनीय मां भारती की जय हो।। 11 ।।
कवि शैलेंद्र आनंद
9,,, नवम्बर 2024,,,
©Shailendra Anand
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