मन उदास हो तो खाने के कई बंडल दूध मुरब्बे अंचार स | हिंदी Shayari

"मन उदास हो तो खाने के कई बंडल दूध मुरब्बे अंचार सड़ते हुए कई फल सब एक-एक करके उठते हैं पालती में और जाके खेत होते हैं कचरे की बाल्टी में बजबजाती बू जब कमरे में उतरती है उसकी नजर मुसलसल कचरे पे ठहरती है वो सोचता है आख़िर ऐसी भी क्या वजह है सड़ता है एक जग-ह उसपर भी क्यों ये कचरा कहीं बाल्टी से खुद ही उठकर नही जाता गोया महीनों हो गए ..वो घर नही जाता :/शंकर ©Shankar Singh Rai"

 मन उदास हो तो 
खाने के कई बंडल
दूध मुरब्बे अंचार
सड़ते हुए कई फल

सब एक-एक करके 
उठते हैं पालती में
और जाके खेत होते हैं
कचरे की बाल्टी में

बजबजाती बू जब
कमरे में उतरती है
उसकी नजर मुसलसल
कचरे पे ठहरती है

वो सोचता है आख़िर
ऐसी भी क्या वजह है
सड़ता है एक जग-ह
उसपर भी क्यों ये कचरा

कहीं बाल्टी से खुद ही उठकर नही जाता

गोया महीनों हो गए
..वो घर नही जाता

:/शंकर

©Shankar Singh Rai

मन उदास हो तो खाने के कई बंडल दूध मुरब्बे अंचार सड़ते हुए कई फल सब एक-एक करके उठते हैं पालती में और जाके खेत होते हैं कचरे की बाल्टी में बजबजाती बू जब कमरे में उतरती है उसकी नजर मुसलसल कचरे पे ठहरती है वो सोचता है आख़िर ऐसी भी क्या वजह है सड़ता है एक जग-ह उसपर भी क्यों ये कचरा कहीं बाल्टी से खुद ही उठकर नही जाता गोया महीनों हो गए ..वो घर नही जाता :/शंकर ©Shankar Singh Rai

#lonely बेरोज़गार
#जिल्दसाज़ी

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