आत्मग्लानि के दरिया में कहीं तुम डूब न जाना समय की | हिंदी कविता

"आत्मग्लानि के दरिया में कहीं तुम डूब न जाना समय की धारा प्रबल होती है उसकी लहरों पर बहते जाना जीवन में ठहराव आएगा आसान हो जाएगा तुम्हारा मंजिल को पाना। ©अलका मिश्रा ©alka mishra"

 आत्मग्लानि के दरिया में
कहीं तुम डूब न जाना
समय की धारा प्रबल होती है
उसकी लहरों पर बहते जाना
जीवन में ठहराव आएगा
आसान हो जाएगा तुम्हारा
मंजिल को पाना।
©अलका मिश्रा

©alka mishra

आत्मग्लानि के दरिया में कहीं तुम डूब न जाना समय की धारा प्रबल होती है उसकी लहरों पर बहते जाना जीवन में ठहराव आएगा आसान हो जाएगा तुम्हारा मंजिल को पाना। ©अलका मिश्रा ©alka mishra

#Kal
#NojotoWritingPrompt

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