alka mishra

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White थाम कर तेरे हाथों को सुकून मिलता है तेरे साथ अकेले में भी हुजूम मिलता है, एक टक निहारा करता हूँ तेरे चेहरे को तेरी निगाहों की तिश्नगी से जुनून मिलता है। ©अलका मिश्रा ©alka mishra

#शायरी #love_shayari  White थाम कर तेरे हाथों को सुकून मिलता है
तेरे साथ अकेले में भी हुजूम मिलता है,
एक टक निहारा करता हूँ तेरे चेहरे को 
तेरी निगाहों की तिश्नगी से जुनून मिलता है।
©अलका मिश्रा

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White मेरे जज्बातों के समंदर का किनारा थे तुम उफनते लहरों से एहसासों का सहारा थे तुम थामा जब हाथ तेरा तो जाना हमकदम नहीं बादल आवारा थे तुम। ©अलका मिश्रा ©alka mishra

#शायरी #Sad_Status  White मेरे जज्बातों के समंदर का
किनारा थे तुम
उफनते लहरों से एहसासों का
सहारा थे तुम
थामा जब हाथ तेरा तो जाना
हमकदम नहीं बादल 
आवारा थे तुम।
©अलका मिश्रा

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#कविता #good_night  White 

मौन से भरा मैं
मृत्यु से लड़ रहा।
मस्तिष्क का हर हिस्सा
कालिमा से भर रहा।
मेरे मन का हर कोना
लालिमा से डर रहा।
अडिग था निरन्तर मैं
आज ध्वस्त हो रहा।
लाख कोशिशों के बाद
तंत्रिका तंत्र नष्ट हो रहा।
सांसों की घड़ी का
रुकना मानो तय है।
यू ही युद्ध चला तो
मिट्टी में मेरा विलय है।
©अलका मिश्रा

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#कविता #sad_quotes  White तल्ख़ नजरों की जिक्र क्या करें वो
जो भीड़ में भी ख्यालों में खो जातें हैं।
लोगों की हंसी की फिक्र कहाँ उन्हें
वो वीराने में भी मंद-मंद मुसकातें हैं।
जोग, रोग या योग कहें इसे जमाना
वो मस्त मलंग बन बस धूनी रमातें हैं।
©अलका मिश्रा

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#कविता #Thinking  White 
सफ़र सोच का
शुरू कर दिया।
मन मस्तिष्क का
गुरु बन गया।
पहाड़ों की घाटियों में
बसा था कहीं जो।
संकीर्ण रास्तों में
फंसा था कहीं जो।
उसमें हवाओं का
हौसला भर दिया।
अवचेना में दबे
वैचारिक ऊष्मा को
जागृत कर उसे
वाष्पित कर दिया।
विचारों ने सघन हो
बादल का रूप धर लिया
उड़ कर फैलता वो
तलहटी से ऊपर उठा
हर बाधाओं को
अब पार कर गया।
मिल काले बादलों से
सुसंगती को चुना।
गहन सोच का 
खुद में जल भर लिया।
बरसा बारिश बन वो
टकराया सुसुप्त तन से
मरते सुविचारों को
जीवंत कर दिया।
©अलका मिश्रा

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#शायरी #love_qoutes  White मेरा दिल न मानेगा कोई शर्तें 
न रखेगा कोई कागजी उसूल
गर ऐसा ही है तो जनाब
इश्क़ की कोशिशें हैं फिजूल।
©अलका मिश्रा

©alka mishra

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