कमबख्त मेरे इश्क की, नाजायज़ फायदा उठा रही थी। सा | हिंदी शायरी

"कमबख्त मेरे इश्क की, नाजायज़ फायदा उठा रही थी। साथ जहर पीने का वायदा,बखूबी निभा रहीं थीं। क्या इश्क भी कितनी कमजोर होती है,बताओं जरा। मुझे लगा खुद चाय पी, मुझे जहर पी ला रही थी। ©Nokesh Madhukar Aajad "

 कमबख्त मेरे इश्क की, नाजायज़ फायदा उठा रही थी।

साथ जहर पीने का वायदा,बखूबी निभा रहीं थीं। 

क्या इश्क भी कितनी कमजोर होती है,बताओं जरा। 

मुझे लगा खुद चाय पी, मुझे जहर पी ला रही थी।

©Nokesh Madhukar Aajad

कमबख्त मेरे इश्क की, नाजायज़ फायदा उठा रही थी। साथ जहर पीने का वायदा,बखूबी निभा रहीं थीं। क्या इश्क भी कितनी कमजोर होती है,बताओं जरा। मुझे लगा खुद चाय पी, मुझे जहर पी ला रही थी। ©Nokesh Madhukar Aajad

आजाद अल्फाज़ @Anupriya पूजा उदेशी peelu sajeev @Guru Dev @/A To Z amazing videos

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