भरी धूप में छत तो बरसात में छाता बन जाता हूं लगे भ | हिंदी शायरी

"भरी धूप में छत तो बरसात में छाता बन जाता हूं लगे भूख उनको तो उनकी भूख भी मैं मिटाता हूं फूलों की खुशबू से उनका जीवन मैं महकाता हूं देता हूं प्राण-वायु और ख़ुद नीलकंठ बन जाता हूं ©Govind Singh"

 भरी धूप में छत तो बरसात में छाता बन जाता हूं
लगे भूख उनको तो उनकी भूख भी मैं मिटाता हूं 
फूलों की खुशबू से उनका जीवन मैं महकाता हूं 
देता हूं प्राण-वायु और ख़ुद नीलकंठ बन जाता हूं

©Govind Singh

भरी धूप में छत तो बरसात में छाता बन जाता हूं लगे भूख उनको तो उनकी भूख भी मैं मिटाता हूं फूलों की खुशबू से उनका जीवन मैं महकाता हूं देता हूं प्राण-वायु और ख़ुद नीलकंठ बन जाता हूं ©Govind Singh

#akela #छत #छाता #नीलकंठ #प्राणवायु

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