परिवर्तन अब आरम्भ हो। निर्मल तन,चित्त,मन हो।। असत्

"परिवर्तन अब आरम्भ हो। निर्मल तन,चित्त,मन हो।। असत्य का पूर्णतः अंत हो। सबके जीवन मे हर्ष हो।। स्पष्ट धर्मो का मर्म हो। कदापि नहीं अब अधर्म हो।। परमार्थ नामक पवित्र कर्म हो। स्वार्थ अब पूर्णतः नष्ट हो। स्पष्ट नियति के कर्मो का मर्म हो। खत्म धरती का कष्ट हो।। नियति का तांडव अब खत्म हो।। महामारी का अब अंत हो। आप सभी को हिन्दू नूतन वर्ष की कोटि-कोटि शुभकामनाएँ।"

 परिवर्तन अब आरम्भ हो।
निर्मल तन,चित्त,मन हो।।
असत्य का पूर्णतः अंत हो।
सबके जीवन मे हर्ष हो।।

स्पष्ट धर्मो का मर्म हो।
कदापि नहीं अब अधर्म हो।।
परमार्थ नामक पवित्र कर्म हो।
स्वार्थ अब पूर्णतः नष्ट हो।

स्पष्ट नियति के कर्मो का मर्म हो।
खत्म धरती का कष्ट हो।।
नियति का तांडव अब खत्म हो।।
महामारी का अब अंत हो।

आप सभी को हिन्दू नूतन वर्ष की कोटि-कोटि शुभकामनाएँ।

परिवर्तन अब आरम्भ हो। निर्मल तन,चित्त,मन हो।। असत्य का पूर्णतः अंत हो। सबके जीवन मे हर्ष हो।। स्पष्ट धर्मो का मर्म हो। कदापि नहीं अब अधर्म हो।। परमार्थ नामक पवित्र कर्म हो। स्वार्थ अब पूर्णतः नष्ट हो। स्पष्ट नियति के कर्मो का मर्म हो। खत्म धरती का कष्ट हो।। नियति का तांडव अब खत्म हो।। महामारी का अब अंत हो। आप सभी को हिन्दू नूतन वर्ष की कोटि-कोटि शुभकामनाएँ।

#rudrasanjaysharma

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