खोजती भटकती सी
घूमती हूं अब तक,
मित्र मिला नहीं मुझे
मेरे जैसा अब तक,,
कृष्ण सुदामा सी
क्या होती है घनिष्ठता
नहीं जान पाई
पूरी ज़िन्दगी में अब तक
ताकती रही स्कूल के मैदान को
भरी हुई कक्षाओं के हर इंसान को
मित्रता की नजरों से देखती थी सबको
नहीं देखा मित्रता से मुझे
किसी ने भी अब तक
होती थी जरूर
बेस्ट फ्रेंड एक सबकी
मैं तो एक फ्रेंड को भी
खोजती हूं अब तक,,
ढूंढ़ती हूं सखा
अर्जुन के थे कृष्ण जैसे
जो जानता हो मन की
निभाए साथ युद्ध तक,,
भयग्रस्त भटकी सी
हर चित्त की अवस्था में
पहुंचाए जो गीता जैसी
औषधियां मुझ तक ,,
खुद हो के भी दुखी
जो पहले मेरा दुख बांटता हो
मुझ सुग्रीव को ना
मिले राम अब तक,,,
#RDV19
#Nojoto
#geet