#OpenPoetry जल,
जल तो जीवन है
निर्मल कोमल शीतल सुंदर ,
प्यारा लगता सबको लेकिन,
प्यास बुझाता सबकी लेकिन
हाय कितने निर्मम हम हैं ,
इसकी कद्र न करते हैं ,
करके इसका भोग कभी हम, धन्यवाद ना करते हैं,,
जल है प्यारा सबसे न्यारा ,
करता हमसे मनुहार ,
ए प्रिय बंधु! हे प्रिय साथी !
कुछ तो मेरा मान करो,,
मेरी कल कल ध्वनि को सुनकर ,कुछ तो मुझ से प्रेम करो,
कुछ तो मान करो तुम मेरा,
यूं ना मुझे बेकार करो,
यूं व्यर्थ बहा कर मुझको तुम
मेरा ना अपमान करो
यू व्यर्थ बहा कर मुझको तुम
मेरा ना अपमान करो ।
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here