ऐ! जिन्दगी तेरी उलझनों के मजे ही कुछ और है. हौसलों | हिंदी कविता

"ऐ! जिन्दगी तेरी उलझनों के मजे ही कुछ और है. हौसलों की पतवार संग, उम्मीदों की डोर है. चिलचिलाती धूप में भी वारिदों का साया है. सैलाबों का साथी हूं मैं, वक्त तुम्हारा जाया है. किताबों का साथ कुछ इस तरह बना रहे मन में. जैसे कान्हा संग गोपियों का इश्क था मधुबन में. ©SoldierMohan"

 ऐ! जिन्दगी तेरी उलझनों के मजे ही कुछ और है.
हौसलों की पतवार संग, उम्मीदों की डोर है.
 
चिलचिलाती धूप में भी वारिदों का साया है.
 सैलाबों का साथी हूं मैं, वक्त तुम्हारा जाया है.

  किताबों का साथ कुछ इस तरह बना रहे मन में.
 जैसे कान्हा संग गोपियों का इश्क था मधुबन में.

©SoldierMohan

ऐ! जिन्दगी तेरी उलझनों के मजे ही कुछ और है. हौसलों की पतवार संग, उम्मीदों की डोर है. चिलचिलाती धूप में भी वारिदों का साया है. सैलाबों का साथी हूं मैं, वक्त तुम्हारा जाया है. किताबों का साथ कुछ इस तरह बना रहे मन में. जैसे कान्हा संग गोपियों का इश्क था मधुबन में. ©SoldierMohan

#fullmoon

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