तेरा मेरा रिश्ता गुलाब का पौधा हो जैसे,
समझ नहीं आती बयां करूँ भी तो कैसे,
बेशक़ तू है बहुत दूर मुझसे,
पर मेरे दिल के तो हमेशा करीब हो वैसे।
रिश्ता हमारा कभी इश्क़ सा गुलाब का फूल है,
तो कभी काँटे सा चुभता तेरा हर बोल है।
बेशक तू मेरा है तो नहीं,
फिर भी तू मुझे सब से अनमोल है।
©author_pawanpreetkaur
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