कभी इश्क़ के किसी छोर तो चल ऐ जानशीं मेरे संग कोई

"कभी इश्क़ के किसी छोर तो चल ऐ जानशीं मेरे संग कोई शाम आये अंबर पर ओढ़ कर तेरे काजल का रंग किस किताब से ढूंढ कर लिखूँ तेरे मेरे रिश्ते का नाम मैं तेरे लिए हुआ बावला, तू किसी और के लिए बदनाम ©YashMehta"

 कभी इश्क़ के किसी छोर तो चल ऐ जानशीं मेरे संग 
कोई शाम आये अंबर पर ओढ़ कर तेरे काजल का रंग
किस किताब से ढूंढ कर लिखूँ तेरे मेरे रिश्ते का नाम
मैं तेरे लिए हुआ बावला, तू किसी और के लिए बदनाम

©YashMehta

कभी इश्क़ के किसी छोर तो चल ऐ जानशीं मेरे संग कोई शाम आये अंबर पर ओढ़ कर तेरे काजल का रंग किस किताब से ढूंढ कर लिखूँ तेरे मेरे रिश्ते का नाम मैं तेरे लिए हुआ बावला, तू किसी और के लिए बदनाम ©YashMehta

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