इलाज शरारती बालक का.... पुराना किस्सा है।

"इलाज शरारती बालक का.... पुराना किस्सा है। एक बालक बेहद शरारती था। ये समझ लीजिए बदमाश बच्चा था। बदमाश भी इतना कि कितना ही कुछ कह लो, उसने किसीकी भी बात माननी ही नहीं थी, सो नहीं मानता था। उसका रोज का काम था आते-जाते व्यक्ति को पत्थर मारना, पत्थर मारता और फिर जोर से हँसता। कोई पकड़ने का प्रयास करता तो भाग जाता। सब परेशान थे। इसी प्रकार एक दिन वह बालक अपने इसी प्रिय खेल में लगा था। एक व्यक्ति को सामने से आते देख, पत्थर फेंका और वह पत्थर उस व्यक्ति को जा लगा। उस व्यक्ति ने उस बालक को जरा भी बुरा-भला नहीं कहा, उल्टा मुस्कुराते हुए अपनी जेब में हाथ डाला और एक चवन्नी बाहर निकाली। फिर प्यार से अपने पास बुलाया। बालक अचंभित भी था और चवन्नी का लालच भी, सो चला गया। उस व्यक्ति ने बालक के हाथ में चवन्नी थमाई। बालक हैरान-परेशान कि सब तो गालियाँ देते हैं और इस व्यक्ति ने मुझे न मारा न पीटा न गाली दी उल्टे चवन्नी और थमा दी। अचंभित बालक ने प्रश्नसूचक निगाह से जैसे ही उस व्यक्ति को देखा तो व्यक्ति ने बालक से कहा कि तुमने बहुत अच्छा काम किया है इसलिए यह तुम्हारा ईनाम है। बालक ने कहा अच्छा इसका मतलब ऐसा करने से चवन्नी मिलती है। व्यक्ति ने हामी भरते हुए कहा, 'बिल्कुल' ! एक काम करना,"पीछे एक व्यक्ति आ रहा है, उसे पत्थर अवश्य मारना, वह भी तुम्हें चवन्नी देगै, बच्चे ने कहा,"सच्ची! व्यक्ति ने कहा, "हाँ" , और वहाँ से चला गया। शरारत का मज़ा और चवन्नी की आस में बालक ने जैसे ही पीछे आते व्यक्ति फर पत्थर फेंका, वह पत्थर सीधे उसके माथे पर लगा। पत्थर मारने के बाद बालक उस व्यक्ति के पास पहुंचा और बोला, "मेरी चवन्नी! व्यक्ति ने बालक से पूछा, चवन्नी? बालक ने कहा, हाँ! मैंनें अभी जो आपको पत्थर मारा, उसके बदले चवन्नी दो मेरी"। दरअसल वह व्यक्ति एक पहलवान था। उसने उस बच्चे की तबीयत से कुटाई की और कहा, "एक तो पत्थर मारता है और ऊपर से च चवन्नी माँगता हैं, ले ये ले चवन्नी! उसके बाद से उस बालक ने कान पकड़ लिए कि आगे से कोई बदमाशी नहीं करेगा। आज उसे अच्छा सबक मिल चुका था.... 26 जून, 2021 सीमा शर्मा 'प्रहरी' ©Seema Sharma"

 इलाज शरारती बालक का....
        पुराना किस्सा है। एक बालक बेहद शरारती था। ये समझ लीजिए बदमाश बच्चा था। बदमाश भी इतना कि कितना ही कुछ कह लो, उसने किसीकी भी बात माननी ही नहीं थी, सो नहीं मानता था। उसका रोज का काम था आते-जाते व्यक्ति को पत्थर मारना, पत्थर मारता और फिर जोर से हँसता। कोई पकड़ने का प्रयास करता तो भाग जाता। सब परेशान थे।
     इसी प्रकार एक दिन वह बालक अपने इसी प्रिय खेल में लगा था। एक व्यक्ति को सामने से आते देख, पत्थर फेंका और वह पत्थर उस व्यक्ति को जा लगा। उस व्यक्ति ने उस बालक को जरा भी बुरा-भला नहीं कहा, उल्टा मुस्कुराते हुए अपनी जेब में हाथ डाला और एक चवन्नी बाहर निकाली। फिर प्यार से अपने पास बुलाया। बालक अचंभित भी था और चवन्नी का लालच भी, सो चला गया। उस व्यक्ति ने बालक के हाथ में चवन्नी थमाई। बालक हैरान-परेशान कि सब तो गालियाँ देते हैं और इस व्यक्ति ने मुझे न मारा न पीटा न गाली दी उल्टे चवन्नी और थमा दी।
                अचंभित बालक ने प्रश्नसूचक निगाह से जैसे ही उस व्यक्ति को देखा तो व्यक्ति ने बालक से कहा कि तुमने बहुत अच्छा काम किया है इसलिए यह तुम्हारा ईनाम है। बालक ने कहा अच्छा इसका मतलब ऐसा करने से चवन्नी मिलती है। व्यक्ति ने हामी भरते हुए कहा, 'बिल्कुल' ! एक काम करना,"पीछे एक व्यक्ति आ रहा है, उसे पत्थर अवश्य मारना, वह भी तुम्हें चवन्नी देगै, बच्चे ने कहा,"सच्ची! व्यक्ति ने कहा, "हाँ" , और वहाँ से चला गया। शरारत का मज़ा और चवन्नी की आस में बालक ने जैसे ही पीछे आते व्यक्ति फर पत्थर फेंका, वह पत्थर सीधे उसके माथे पर लगा। पत्थर मारने के बाद बालक उस व्यक्ति के पास पहुंचा और बोला, "मेरी चवन्नी! व्यक्ति ने बालक से पूछा, चवन्नी? बालक ने कहा, हाँ! मैंनें अभी जो आपको पत्थर मारा, उसके बदले चवन्नी दो मेरी"। 
      दरअसल वह व्यक्ति एक पहलवान था। उसने उस बच्चे की तबीयत से कुटाई की और कहा, "एक तो पत्थर मारता है और ऊपर से च चवन्नी माँगता हैं, ले ये ले चवन्नी! उसके बाद से उस बालक ने कान पकड़ लिए कि आगे से कोई बदमाशी नहीं करेगा। आज उसे अच्छा सबक मिल चुका था....
26 जून, 2021            सीमा शर्मा 'प्रहरी'

©Seema Sharma

इलाज शरारती बालक का.... पुराना किस्सा है। एक बालक बेहद शरारती था। ये समझ लीजिए बदमाश बच्चा था। बदमाश भी इतना कि कितना ही कुछ कह लो, उसने किसीकी भी बात माननी ही नहीं थी, सो नहीं मानता था। उसका रोज का काम था आते-जाते व्यक्ति को पत्थर मारना, पत्थर मारता और फिर जोर से हँसता। कोई पकड़ने का प्रयास करता तो भाग जाता। सब परेशान थे। इसी प्रकार एक दिन वह बालक अपने इसी प्रिय खेल में लगा था। एक व्यक्ति को सामने से आते देख, पत्थर फेंका और वह पत्थर उस व्यक्ति को जा लगा। उस व्यक्ति ने उस बालक को जरा भी बुरा-भला नहीं कहा, उल्टा मुस्कुराते हुए अपनी जेब में हाथ डाला और एक चवन्नी बाहर निकाली। फिर प्यार से अपने पास बुलाया। बालक अचंभित भी था और चवन्नी का लालच भी, सो चला गया। उस व्यक्ति ने बालक के हाथ में चवन्नी थमाई। बालक हैरान-परेशान कि सब तो गालियाँ देते हैं और इस व्यक्ति ने मुझे न मारा न पीटा न गाली दी उल्टे चवन्नी और थमा दी। अचंभित बालक ने प्रश्नसूचक निगाह से जैसे ही उस व्यक्ति को देखा तो व्यक्ति ने बालक से कहा कि तुमने बहुत अच्छा काम किया है इसलिए यह तुम्हारा ईनाम है। बालक ने कहा अच्छा इसका मतलब ऐसा करने से चवन्नी मिलती है। व्यक्ति ने हामी भरते हुए कहा, 'बिल्कुल' ! एक काम करना,"पीछे एक व्यक्ति आ रहा है, उसे पत्थर अवश्य मारना, वह भी तुम्हें चवन्नी देगै, बच्चे ने कहा,"सच्ची! व्यक्ति ने कहा, "हाँ" , और वहाँ से चला गया। शरारत का मज़ा और चवन्नी की आस में बालक ने जैसे ही पीछे आते व्यक्ति फर पत्थर फेंका, वह पत्थर सीधे उसके माथे पर लगा। पत्थर मारने के बाद बालक उस व्यक्ति के पास पहुंचा और बोला, "मेरी चवन्नी! व्यक्ति ने बालक से पूछा, चवन्नी? बालक ने कहा, हाँ! मैंनें अभी जो आपको पत्थर मारा, उसके बदले चवन्नी दो मेरी"। दरअसल वह व्यक्ति एक पहलवान था। उसने उस बच्चे की तबीयत से कुटाई की और कहा, "एक तो पत्थर मारता है और ऊपर से च चवन्नी माँगता हैं, ले ये ले चवन्नी! उसके बाद से उस बालक ने कान पकड़ लिए कि आगे से कोई बदमाशी नहीं करेगा। आज उसे अच्छा सबक मिल चुका था.... 26 जून, 2021 सीमा शर्मा 'प्रहरी' ©Seema Sharma

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