तुम शहर में रहते हो तो अंधेरी रातें भी जग मगाती सी लगती।
वरना आपके बिन तो इस शहर का दिन भी काटने को दौड़ता है।
आप जब हस्ते हो पतझड़ भी बसंत सी लगती है ।
बरना आपके बिन तो ये बारिश के मौसम भी सूखे सूखे लगते है।
ये रात का होना ,तारो का चमकना ,बारिश का होना ,ये सुहानी सुबह तुम साथ हो तो तुम साथ हो तो ही समझ आता है ये सब वरना ये सब तो गुजरता वक़्त स लगता है।
©ishq_2_(shrohit)
तुम्हारा साथ...