महसूस करके देखो, सूरज ढला, शाम ढली, ढली ये काली रा | मराठी शायरी

"महसूस करके देखो, सूरज ढला, शाम ढली, ढली ये काली रात भी लोग बदले, रिश्ते बदले, बदली सबकी फितरत भी...."

 महसूस करके देखो,
सूरज ढला, शाम ढली, ढली ये काली रात भी
लोग बदले, रिश्ते बदले, बदली सबकी फितरत भी....

महसूस करके देखो, सूरज ढला, शाम ढली, ढली ये काली रात भी लोग बदले, रिश्ते बदले, बदली सबकी फितरत भी....

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