इतना प्यार मत कर ऐ मुसाफिर रास्तों से
ये जालिम मोहबत्त राह में कांटे बहुत बिछाती है...
चुभ गया जो कांटा तुझे,दर्द भूल ना पाएगा
बहुत आगे बढ़ रहा है,वापस लौट भी
नहीं पाएगा
इतना प्यार मत कर ऐ मुसाफिर रास्तों से
ये जालिम मोहबत्त राह में कांटे बहुत बिछाती है...
चुभ गया जो कांटा तुझे,दर्द भूल ना पाएगा
बहुत आगे बढ़ रहा है,वापस लौट भी
नहीं पाएगा
9 Love
महसूस करके देखो,
सूरज ढला, शाम ढली, ढली ये काली रात भी
लोग बदले, रिश्ते बदले, बदली सबकी फितरत भी....
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