मेरी मैयत मे भी उसका आना देर से हुआ, मेरा जनाजा उस | हिंदी शायरी

"मेरी मैयत मे भी उसका आना देर से हुआ, मेरा जनाजा उसे वहीं मिला जहां मिलना मिलाना पहली बार हुआ बस फर्क इतना था इस दौर और उस दौर मे, पलट कर मुस्कुराइ थी उस दौर मे इस दौर रोना रूलाना साहीर हुआ ©अंकित कुमार''अनुरंजन"

 मेरी मैयत मे भी उसका आना देर से हुआ,
मेरा जनाजा उसे वहीं मिला जहां मिलना मिलाना पहली बार हुआ
बस फर्क इतना था इस दौर और उस दौर मे,
पलट कर मुस्कुराइ थी उस दौर मे
इस दौर रोना रूलाना साहीर हुआ

©अंकित कुमार''अनुरंजन

मेरी मैयत मे भी उसका आना देर से हुआ, मेरा जनाजा उसे वहीं मिला जहां मिलना मिलाना पहली बार हुआ बस फर्क इतना था इस दौर और उस दौर मे, पलट कर मुस्कुराइ थी उस दौर मे इस दौर रोना रूलाना साहीर हुआ ©अंकित कुमार''अनुरंजन

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