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कलम मेरी हर संजीदा किरदार निभाती है
https://youtu.be/Pw8O5DW4Ym8
अंकित कुमार''अनुरंजन
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घर की दिवारों में अब खिड़कियां नहीं होती, मोहब्बत आज भी वैसी ही है मानो या न मानो पर पहले जैसी अब जमाने लड़कियां नहीं होती। ©अंकित कुमार''अनुरंजन
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मेरी मैयत मे भी उसका आना देर से हुआ, मेरा जनाजा उसे वहीं मिला जहां मिलना मिलाना पहली बार हुआ बस फर्क इतना था इस दौर और उस दौर मे, पलट कर मुस्कुराइ थी उस दौर मे इस दौर रोना रूलाना साहीर हुआ ©अंकित कुमार''अनुरंजन
7 Love
टूट कर दिल अक्सर डूब जाता है शराब ए शबब मे, महबूब की नजरो की लत जो लगा बैठा है । ©अंकित कुमार''अनुरंजन
12 Love
कर सकोगे जो तुमने वादा किया था मरने का मेरे संग तुमने इरादा किया था अटल तुम अपनी बातों पर अगर हो , मैं क़ब्र में ही तुम बाहर क्यों हो। ©अंकित कुमार''अनुरंजन
8 Love
कुछ पल और सह ले , कल हम भी दिवारो में टंगे मिलेंगे, हम मिलेंगे हर रोज़ लेकिन गले आज आखिरी बार मिलेंगे। ©अंकित कुमार''अनुरंजन
9 Love
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