आईना
हँसु जो मैं तो ये भी खिलखिलाता है,
जो रोयूँ कभी तो ये भी बिलखता नज़र आता है।
मेरे चेहरे के दाग भी तो ये कहाँ छुपाता है,
और लगाऊं जो कभी काली बिंदी तो ये मुझसे ज्यादा इठलाता है।
उदास हूँ अगर तो ये भी कहाँ मुस्कुराता है,
और जो हार जाऊं कभी मैं तो ये हौंसला बन मेरे सामने खड़ा हो जाता है।
आईना जो सच बताता है, और ये हमेशा मुझे-मुझसे मिलता है ।
©yamini gaur
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