औंधा पड़ा श्याम पट हो जैसे कल नन्ही सुबह, सुरज लि

"औंधा पड़ा श्याम पट हो जैसे कल नन्ही सुबह, सुरज लिखेगी... सजा देगी झालर, बूटे औ पत्ते गीले हाथों से, कई रंग भरेगी.... खाली बचेंगे,कोई कोने भी नहीं दोनों एड़ी उठाये, पंछी-पंछी भरेगी.... और.., एक बिन्दु बन लग जाउंगा मैं भी गर थोड़ी सी चमक मुझमें रहेगी... 🖋️ नरेन्द्र"

 औंधा पड़ा श्याम पट हो जैसे 
कल नन्ही सुबह, सुरज लिखेगी...

सजा देगी झालर, बूटे औ पत्ते 
गीले हाथों से, कई रंग भरेगी....

खाली बचेंगे,कोई कोने भी नहीं
दोनों एड़ी उठाये, पंछी-पंछी भरेगी....

और.., 
एक बिन्दु बन लग जाउंगा मैं भी 
गर थोड़ी सी चमक मुझमें रहेगी...

🖋️ नरेन्द्र

औंधा पड़ा श्याम पट हो जैसे कल नन्ही सुबह, सुरज लिखेगी... सजा देगी झालर, बूटे औ पत्ते गीले हाथों से, कई रंग भरेगी.... खाली बचेंगे,कोई कोने भी नहीं दोनों एड़ी उठाये, पंछी-पंछी भरेगी.... और.., एक बिन्दु बन लग जाउंगा मैं भी गर थोड़ी सी चमक मुझमें रहेगी... 🖋️ नरेन्द्र

#Subah #Morning #सवेरा #good_morning #happy_morning

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