White ग़ज़ल
लौटकर चाहे न देखें बेरुखी से जाने वाले
ज़िंदगी से कब गए हैं ज़िंदगी से जाने वाले
दिल जिगर में बस गए हो तो उसूलों पर ही रहना
दुश्मनी से भी गए हैं दोस्ती से जाने वाले
शर्त तो कोई नहीं थी हाँ मगर ये जिद रही है
ख़्वाब से भी दूर हों पाकीज़गी से जाने वाले
जो समंदर से गए वो तिश्नगी भी साथ लाए
प्यास भी अपनी बहा आए नदी से जाने वाले
नाम से तेरे अभी तक इस तरह बदनाम हूँ मैं
खोजते हर सू मुझे तेरी गली से जाने वाले
और तो कुछ भी नहीं बस रंज इतना भर रहा है
दिल की चीखें सुन भी जाते ख़ामुशी से जाने वाले
@धर्मेन्द्र तिजोरीवाले 'आज़ाद'
©Dharmendra Azad
#love_shayari