गुलशन में हैं फूल खिले भँवरे करते मनमानी , और

"गुलशन में हैं फूल खिले भँवरे करते मनमानी , और बगल में बहती नदिया कल-कल बहता पानी , आज बाग में लगता कोई नई कली मुस्काई , हवा बसंती की खुशबू तन पर है चूनर धानी ! अशान्त (पटना) ©Ramshlok Sharma Ashant"

 गुलशन  में  हैं  फूल  खिले
भँवरे करते  मनमानी ,
और बगल में बहती नदिया
कल-कल बहता पानी ,
आज  बाग  में  लगता कोई
नई   कली    मुस्काई ,
हवा   बसंती    की   खुशबू
तन पर है चूनर धानी !

अशान्त (पटना)

©Ramshlok Sharma Ashant

गुलशन में हैं फूल खिले भँवरे करते मनमानी , और बगल में बहती नदिया कल-कल बहता पानी , आज बाग में लगता कोई नई कली मुस्काई , हवा बसंती की खुशबू तन पर है चूनर धानी ! अशान्त (पटना) ©Ramshlok Sharma Ashant

कविता

#Wish

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