तू वो कि जहाँ
मैं भूल जाता हूँ
कुछ देर के लिए खुद को
खुद की परेशानियों को
भूल जाता हूँ
अक्सर मेरा अस्तित्व
जो घिरा है
डर और घबराहट से
भूल जाता हूँ
उम्र का वह पड़ाव
और फिर से
बच्चा बन जाता हूँ
परिपक्वता का चोला
उतर जाता है
तेरे पास रहने पर
फिर मासूम बच्चा
उभर आता है जो
छुप कर बैठा है
भीतर कहीं
बस तू है तो सब है
तू नहीं तो सब है
बस मैं मैं नहीं
©Anup Joshi