साक्षी..
नादान है पर समझदार हैं
कहने को छोटी हैं कुछ हों तो,
मां बन जाति है!!
अब छोटी हैं तो घर की लाडली भी हैं
पिताजी की कुछ जादा ही है,
हम मै प्यार से बातें कम होती हैं
हम मारपीट नोकजौक मैं जो लगे रहते है!!
वो शिकायते करने वाली,
कब बड़ी हो गई, समझ ही नहीं आया!
वो चुलबुल सी, बातुनी,चहकने वाली बच्ची,
कब मासूम और सहमी सी बन गई,
खबर नहीं हुई!
वक्त के साथ वो, हमारे बराबर आ गई है!
बिन कहे वो अब समझ जाती है
अब बच्ची बुलाने से वो चीड़ जाती हैं
कैसे बताऊं की तू अभी हमारी छोटी बच्ची ही है!!
©Reena Tanwar