नज़र नज़र मेरी थी, नज़ारा उनका था जिंदगी मेरी थी, | हिंदी Life

"नज़र नज़र मेरी थी, नज़ारा उनका था जिंदगी मेरी थी, सहारा उनका था रुह मेरी थी, आसरा उनका था कुछ यूँ बसे थे एक-दूजे की नज़र में कि कब्र मेरी थी जनाज़ा उनका था ।"

 नज़र
नज़र मेरी थी, नज़ारा उनका था 
जिंदगी मेरी थी, सहारा उनका था
रुह मेरी थी, आसरा उनका था
कुछ यूँ बसे थे एक-दूजे की नज़र में
कि कब्र मेरी थी जनाज़ा उनका था ।

नज़र नज़र मेरी थी, नज़ारा उनका था जिंदगी मेरी थी, सहारा उनका था रुह मेरी थी, आसरा उनका था कुछ यूँ बसे थे एक-दूजे की नज़र में कि कब्र मेरी थी जनाज़ा उनका था ।

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