White मिट्टी की सौंधी खुशबू में,
ग्राम्य जीवन की अनोखी छवि,
मटका बना प्रकृति की गोद में,
थोड़ी सी साधारण, थोड़ी सी रहस्यमयी।रखता वो शीतल जल,
धूप की तपिश से हमें बचाता,
संकट के समय, प्यासी धरती को
जीवन का अमृत पिलाता।हाथ से गढ़ा, दिल से सहेजा,
हर घर का वो खास अंग,
अपनी शांति में, कहता है मटका,
जिंदगी जीने का सरल संग।धूल मिट्टी से आया,
फिर भी कितनी धीर,
सिखाता धैर्य का पाठ,
मटका, तुम हो सबके लिए प्रिय।जोड़े रखता है रिश्ता,
गांव और नगर का,
संपन्नता से नहीं, सादगी से
भर देता है यह जीवन।
©aditi the writer
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