White कौन जाने ,,,?
कि इस खनकती हंसी के पीछे,
कितना दर्द छुपा है।
कोई तन दुखी, कोई मन दुखी, कोई धन दुखी,,
कहावत बड़ी पुरानी है।
पर कौन समझे किसका दर्द ज़्यादा बड़ा हैं।
हां सच ही तो है,,,
जो होठों से बयां कर दे तकलीफ अपनी,
या जो मन में दबाए रखे,,।
दर्द तो दर्द है,,
जिसके हिस्से का होता है वही जान सकता है,,,।
ज़माने भर ने जिल्लत दी ,
ताना कसा मुझपर कि,
तुम्हे क्या तकलीफ़ है,,?
तुमने तो बस वक्त ज़ाया किया है।
ज़िंदगी गवाकर जब ज़िंदगी मिले,
हर खुशी गवाकर भी न खुशी मिले,
सबको अमृत देकर भी जब कोई विषैला कहलाए,
कौन समझे उसने क्या गवाया है?
इन चंचल आंखों की शरारत,
ये छोटे बच्चों जैसी हरकतें,
ये बिना मतलब की बेसिर पैर कि बातें,
होंठो पर छाई गहरी हंसी के पीछे किसे पता ?
एक घायल मन बसा है,
©shraddha.meera
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