दिन बदलेगा इसी चाह में,
मिला मुझे संघर्ष राह में,
हिम्मत देने वाला साथी,
कश्ती ले भागा प्रवाह में,
भवसागर से पार है जाना,
चला रहे पतवार थाह में,
हुई समर्पित जीवन सरिता,
पीड़ा घुलती रही आह में,
घूम रहा है चक्र समय का,
दिन,पखवारे और माह में,
बेचैनी में कटते दिन अब,
चैन नहीं है ख़्वाब गाह में,
दर्द भरी नज्में सुन 'गुंजन',
बजती ताली वाह-वाह में,
-शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
समस्तीपुर बिहार
©Shashi Bhushan Mishra
#चैन नहीं है ख़्वाब गाह में#