जहां से गुजर के कुछ साल पहले गये थे
मेरी इश्क़ को मुकर के बेइज्जत किये थे
अरे ओ हसीना ....
फिर से उसी गलियो में आ गये हो
फर्क इतना सा है वक्त वो तेरा था
और ये जमी , महफिल किराये का
अब हालातो से सब कुछ खरीद लिया हूँ
और ये गम के सारे आँसू छीट के
बंजर समा को हरा कर दिया हूँ
©Aatish Safar
#lost