इधर पार था सीने के तीर मेरे , ऊपर से घुसा दी थी शम | हिंदी Shayari

"इधर पार था सीने के तीर मेरे , ऊपर से घुसा दी थी शमशीर मेरे اِدھر پاد تھا سینے کے تیر میرے، اپر سے گھسا دی تھی شمشیر میرے ۔ कटे पांव को देखकर रो रहा था , चला इतने में हाथ पे तीर मेरे ।। کٹے پانو کو دیکھکر رو رہا تھا ، چلا اتنے میں ہاتھ پے تیر میرے ۔۔ زوگا بھاگسریہ जोगा भागसरिया ।। ©Zoga Bhagsariya"

 इधर पार था सीने के तीर मेरे ,
ऊपर से घुसा दी थी शमशीर मेरे 
اِدھر پاد تھا سینے کے تیر میرے،
اپر سے گھسا دی تھی شمشیر میرے ۔

कटे पांव को देखकर रो रहा था ,
चला इतने में हाथ पे तीर मेरे ।।
کٹے پانو کو دیکھکر رو رہا تھا ،
چلا اتنے میں ہاتھ پے تیر میرے ۔۔

زوگا بھاگسریہ
जोगा भागसरिया ।।

©Zoga Bhagsariya

इधर पार था सीने के तीर मेरे , ऊपर से घुसा दी थी शमशीर मेरे اِدھر پاد تھا سینے کے تیر میرے، اپر سے گھسا دی تھی شمشیر میرے ۔ कटे पांव को देखकर रो रहा था , चला इतने में हाथ पे तीर मेरे ।। کٹے پانو کو دیکھکر رو رہا تھا ، چلا اتنے میں ہاتھ پے تیر میرے ۔۔ زوگا بھاگسریہ जोगा भागसरिया ।। ©Zoga Bhagsariya

इधर पार था सीने के तीर मेरे ,
ऊपर से घुसा दी थी शमशीर मेरे
اِدھر پاد تھا سینے کے تیر میرے،
اپر سے گھسا دی تھی شمشیر میرے ۔

कटे पांव को देखकर रो रहा था ,
चला इतने में हाथ पे तीर मेरे ।।
کٹے پانو کو دیکھکر رو رہا تھا ،

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