Zoga Bhagsariya

Zoga Bhagsariya Lives in Sri Ganganagar, Rajasthan, India

ZOGA BHAGSARIYA .. Qafir_Zoga_Ghulam काबिल"ए" हसद , हूं , हलाक़ मैं , खरा नहीं खोटा , हूं , ख़ाक मैं,,,,,, बे हया ,बदनाम , ,हूं शर्मनाक मैं , बेलियाकत, हूं मरदुदो - नापाक मैं , किसको करवाएं , तार्रुफ "ए" तहजीब, काला ,मेला ,हूं ,खुद ही , कटा नाक मैं ,,, ना हिंदी का इल्म ,ना उर्दू का ,,मगर महफ़िल ए हयात जमाता ,हूं धाक मैं ,,, डूबने में तस्कीन है , गर यकीन है , जोगा इस मामले ,हूं तपाक मैं ,,,,,,,,।। قابلِ حسد ہُوں ہلاک میں ، خرا نہیں کھوٹا ،ہو خاق میں ۔ نے حیا ، بد نام ،ہو شرمناک میں ، نے لیاقت ،ہو ،مردودو ناپاک میں ۔ کیسکو کروائے ،تعارف ع ،تہذیب ، کالا میلا ،ہو خود ہی ک ٹا ،ناک میں۔ نہ ہندی کہ علم نہ ،اُردو کا ، مگر محفلِ حیات جماعۃ ،ہو دھاک میں ۔ ڈوبنے میں تسکین ہے ،گر یقین ہے، زو گا اس معاملے ،ہو تپاک میں ۔۔ ZOGA BHAGSARIYA RAJASTHANI KAFIR ZOGA GULAM.. काबिल"ए" हसद , हूं , हलाक़ मैं , खरा नहीं खोटा , हूं , ख़ाक मैं,,,,,, बे हया ,बदनाम , ,हूं शर्मनाक मैं , बेलियाकत, हूं मरदुदो - नापाक मैं , किसको करवाएं , तार्रुफ "ए" तहजीब, काला ,मेला ,हूं ,खुद ही , कटा नाक मैं ,,, ना हिंदी का इल्म ,ना उर्दू का ,,मगर महफ़िल ए हयात जमाता ,हूं धाक मैं ,,, डूबने में तस्कीन है , गर यकीन है , जोगा इस मामले ,हूं तपाक मैं ,,,,,,,,।। قابلِ حسد ہُوں ہلاک میں ، خرا نہیں کھوٹا ،ہو خاق میں ۔ نے حیا ، بد نام ،ہو شرمناک میں ، نے لیاقت ،ہو ،مردودو ناپاک میں ۔ کیسکو کروائے ،تعارف ع ،تہذیب ، کالا میلا ،ہو خود ہی ک ٹا ،ناک میں۔ نہ ہندی کہ علم نہ ،اُردو کا ، مگر محفلِ حیات جماعۃ ،ہو دھاک میں ۔ ڈوبنے میں تسکین ہے ،گر یقین ہے، زو گا اس معاملے ،ہو تپاک میں ۔۔ ZOGA BHAGSARIYA RAJASTHANI KAFIR ZOGA GULAM..

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इधर पार था सीने के तीर मेरे , ऊपर से घुसा दी थी शमशीर मेरे اِدھر پاد تھا سینے کے تیر میرے، اپر سے گھسا دی تھی شمشیر میرے ۔ कटे पांव को देखकर रो रहा था , चला इतने में हाथ पे तीर मेरे ।। کٹے پانو کو دیکھکر رو رہا تھا ، چلا اتنے میں ہاتھ پے تیر میرے ۔۔ زوگا بھاگسریہ जोगा भागसरिया ।। ©Zoga Bhagsariya

 इधर पार था सीने के तीर मेरे ,
ऊपर से घुसा दी थी शमशीर मेरे 
اِدھر پاد تھا سینے کے تیر میرے،
اپر سے گھسا دی تھی شمشیر میرے ۔

कटे पांव को देखकर रो रहा था ,
चला इतने में हाथ पे तीर मेरे ।।
کٹے پانو کو دیکھکر رو رہا تھا ،
چلا اتنے میں ہاتھ پے تیر میرے ۔۔

زوگا بھاگسریہ
जोगा भागसरिया ।।

©Zoga Bhagsariya

इधर पार था सीने के तीर मेरे , ऊपर से घुसा दी थी शमशीर मेरे اِدھر پاد تھا سینے کے تیر میرے، اپر سے گھسا دی تھی شمشیر میرے ۔ कटे पांव को देखकर रो रहा था , चला इतने में हाथ पे तीर मेरे ।। کٹے پانو کو دیکھکر رو رہا تھا ،

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इधर पार था सीने के तीर मेरे , ऊपर से घुसा दी थी शमशीर मेरे اِدھر پاد تھا سینے کے تیر میرے، اپر سے گھسا دی تھی شمشیر میرے ۔ कटे पांव को देखकर रो रहा था , चला इतने में हाथ पे तीर मेरे ।। کٹے پانو کو دیکھکر رو رہا تھا ، چلا اتنے میں ہاتھ پے تیر میرے ۔۔ زوگا بھاگسریہ जोगा भागसरिया ।। ©Zoga Bhagsariya

 इधर पार था सीने के तीर मेरे ,
ऊपर से घुसा दी थी शमशीर मेरे 
اِدھر پاد تھا سینے کے تیر میرے،
اپر سے گھسا دی تھی شمشیر میرے ۔

कटे पांव को देखकर रो रहा था ,
चला इतने में हाथ पे तीर मेरे ।।
کٹے پانو کو دیکھکر رو رہا تھا ،
چلا اتنے میں ہاتھ پے تیر میرے ۔۔

زوگا بھاگسریہ
जोगा भागसरिया ।।

©Zoga Bhagsariya

इधर पार था सीने के तीर मेरे , घुसा दी ऊपर से श्मशीर मेरे ।। اِدھر پاد تھا سینے کے تیر میرے، گھسا دی اوپر سے شمشیر میرے ۔۔ कटे पांव को देखकर रो रहा था , चला इतने में हाथ पे तीर मेरे ।।

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गम के आलम में बहुत ही घिर गया हूं मैं , क्या कहूं नज़रों में खुद की गिर गया हूं मैं ।। ©Zoga Bhagsariya

 गम के आलम में बहुत ही घिर गया हूं मैं ,
क्या कहूं नज़रों में खुद की गिर गया हूं मैं ।।

©Zoga Bhagsariya

गम के आलम में बहुत ही घिर गया हूं मैं , क्या कहूं नज़रों में खुद की गिर गया हूं मैं ।।

15 Love

 मैंने तो कतरे ही डाले इक मरे से पेड़ में ,
मेरी खातिर पानी लेकर सारा जंगल आ गया ।।

میںنے تو قطرے ہی ڈالے اک مرے سے پیڈ میں ،
میری خاطر پانی لیکر سارا جنگل آ گیا ۔

जीत जाता मैं मगर उस को जिताना था मुझे ,
इसलिए मैं हार कर के आज दंगल आ गया  ।।

جیت جاتا میں مگر اس کو جتانا تھا مجھے ،
اسلئے میں ہار کر کے آج دنگل آ گیا ۔

زوگہ بھاگسریہ ۔

©Zoga Bhagsariya

मैंने तो कतरे ही डाले इक मरे से पेड़ में , मेरी खातिर पानी लेकर सारा जंगल आ गया ।। میںنے تو قطرے ہی ڈالے اک مرے سے پیڈ میں ، میری خاطر پانی لیکر سارا جنگل آ گیا ۔ जीत जाता मैं मगर उस को जिताना था मुझे , इसलिए मैं हार कर के आज दंगल आ गया ।।

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अपने उन मां बापू को ससुराल आते देखकर , क्या कहूं कितनी खुशी से फूल जातीं बेटीयां ।। मुस्कुरातीं ठीक लगतीं हैं मगर अंदर से सब , मैंने देखीं गम से पुर मशगूल जातीं बेटीयां ।। ©Zoga Bhagsariya

 अपने उन मां बापू को ससुराल आते देखकर ,
क्या कहूं कितनी खुशी से फूल जातीं बेटीयां ।।

मुस्कुरातीं ठीक लगतीं हैं मगर अंदर से सब ,
मैंने देखीं गम से पुर मशगूल जातीं बेटीयां ।।

©Zoga Bhagsariya

अपने उन मां बापू को ससुराल आते देखकर , क्या कहूं कितनी खुशी से फूल जातीं बेटीयां ।। मुस्कुरातीं ठीक लगतीं हैं मगर अंदर से सब , मैंने देखीं गम से पुर मशगूल जातीं बेटीयां ।।

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सब्र से सब हसरतों को भूल जातीं बेटियां , गम के आगे शाख मानिंद झूल जातीं बेटियां ।। पलती है जिस घर वहां पर फूल बोतीं बेटियाँ, बाद शादी अपने संग भी फूल लातीं बेटियाँ ।। ©Zoga Bhagsariya

 सब्र से सब हसरतों को भूल जातीं बेटियां ,
गम के आगे शाख मानिंद झूल जातीं बेटियां  ।।

पलती है जिस घर वहां पर फूल बोतीं बेटियाँ,
बाद शादी अपने संग भी फूल लातीं बेटियाँ ।।

©Zoga Bhagsariya

सब्र से सब हसरतों को भूल जातीं बेटियां , गम के आगे शाख मानिंद झूल जातीं बेटियां ।। पलती है जिस घर वहां पर फूल बोतीं बेटियाँ, बाद शादी अपने संग भी फूल लातीं बेटियाँ ।।

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