अपने उन मां बापू को ससुराल आते देखकर , क्या कहूं क | हिंदी Shayari

"अपने उन मां बापू को ससुराल आते देखकर , क्या कहूं कितनी खुशी से फूल जातीं बेटीयां ।। मुस्कुरातीं ठीक लगतीं हैं मगर अंदर से सब , मैंने देखीं गम से पुर मशगूल जातीं बेटीयां ।। ©Zoga Bhagsariya"

 अपने उन मां बापू को ससुराल आते देखकर ,
क्या कहूं कितनी खुशी से फूल जातीं बेटीयां ।।

मुस्कुरातीं ठीक लगतीं हैं मगर अंदर से सब ,
मैंने देखीं गम से पुर मशगूल जातीं बेटीयां ।।

©Zoga Bhagsariya

अपने उन मां बापू को ससुराल आते देखकर , क्या कहूं कितनी खुशी से फूल जातीं बेटीयां ।। मुस्कुरातीं ठीक लगतीं हैं मगर अंदर से सब , मैंने देखीं गम से पुर मशगूल जातीं बेटीयां ।। ©Zoga Bhagsariya

अपने उन मां बापू को ससुराल आते देखकर ,
क्या कहूं कितनी खुशी से फूल जातीं बेटीयां ।।

मुस्कुरातीं ठीक लगतीं हैं मगर अंदर से सब ,
मैंने देखीं गम से पुर मशगूल जातीं बेटीयां ।।

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