"न जाने मेरे ज़हन में ये क्या चल रहा था
अदा कर रहा था नमाज़ और ख्याल
तेरा चल रहा था
न जाने मैं क्या कुफ्र कर रहा था
शायद गुना है अज़िम कर रहा था
था सजदे में सर मेरा राहे ख़ुदा के
और याद तुझको कर रहा था
(खान रिज़वान)"
न जाने मेरे ज़हन में ये क्या चल रहा था
अदा कर रहा था नमाज़ और ख्याल
तेरा चल रहा था
न जाने मैं क्या कुफ्र कर रहा था
शायद गुना है अज़िम कर रहा था
था सजदे में सर मेरा राहे ख़ुदा के
और याद तुझको कर रहा था
(खान रिज़वान)