मैं इन हवाओं को भली भांति जानता हूं.
यह हर रोज़ कि तरह,,,
ज़रूर आज की शाम भी कुछ न कुछ यादें लेकर आएंगे.
अजी कौन रोना चाहता उन गुज़रे पलों की याद में.
पर शायर हूं "इब्राहिमी",,,,
ज़रूर मेरे ही अल्फाज़ न चाहते हुए मुझे ही रुलाएंगे.
©AL Ibrahimi
.yaaden..........after forgating everything butThere is something left in some memories.
and It is easy to say, not easy to forgate.
#touchthesky