.हम आज भी भटक रहे हैं मोहब्बत के गलियारे में,
आपकी खुशबू सदियों से आती है मेरे दिल के करीब,
पर आज भी तन्हा है, अकेला है मेरा प्यार,
कहाँ हो तुम, मेरी जिंदगी के सहारे।
अगर दिल से कहना हो, तो फिर ख़यालों से क्यों दरिया को मोहब्बत कहे है,
क्यों नदियों में खुद को गवाही देते हैं,
मोहब्बत के पानी में उनकी दरियाई आहट बसी होती है,