मंजिल मेरी तो तुम थे ए........ परमपिता परमेश्वर, जानते हैं आप कि मेरा जन्म ही तुम्हारी भक्ति करने के लिया हुआ था, तभी तो मैं तुम्हारी ऊंगली पकड़कर चल रही थी लेकिन..... ना जानें कब, कहा? पल भर के लिए मेरा ध्यान भटका, तुम मुझे छोड़ बीच भंवर में ना जानें कहा अंतर्ध्यान हो गए???
©kamlesh pratap singh
#JallianwalaBagh