विदुर बना है संरक्षक दुर्योधन का दुश्शासन का, कुछ | हिंदी Love

"विदुर बना है संरक्षक दुर्योधन का दुश्शासन का, कुछ लाभ नहीं पांचाली अब कान्हा के आवाहन का। अब चीरहरण से आगे बढ़ ये प्राण हरण कर लेते हैं, निर्भय होकर स्त्री का ये 'निजीकरण' कर लेते हैं। हैं भीष्म आज भी दृढ़ प्रतिज्ञ सत्ता को चमकाने में, सब कर्ण जुटे हैं दुर्योधन का फिर से नमक चुकाने में। हैं द्रोण बहुत से पर सबने पैरों में घुंघरू बांध लिए, दरबार सजा है वीरों का लाशों सी विकट सड़ांध लिए। हे भीम सिंहासन से पहले अब तुम ही न्याय करो, दुर्योधन की जंघा तोड़ो दुश्शासन का उपाय करो। हे अभिमन्यु इस बार तुम्हीं इस कर्ण की गर्दन काटोगे, हे गंगापुत्र भला कब तक सत्ता के तलवे चाटोगे। हे पार्थ तुम्हारे तीरों से पट जानी चहिए अब धरती, ये कार्य तनिक पहले करते तो फिर इक गुड़िया ना मरती। - विशाल कुमार # हाथरस"

 विदुर बना है संरक्षक दुर्योधन का दुश्शासन का,
कुछ लाभ नहीं पांचाली अब कान्हा के आवाहन का।

अब चीरहरण से आगे बढ़ ये प्राण हरण कर लेते हैं,
निर्भय होकर स्त्री का ये 'निजीकरण' कर लेते हैं।

हैं भीष्म आज भी दृढ़ प्रतिज्ञ सत्ता को चमकाने में,
सब कर्ण जुटे हैं दुर्योधन का फिर से नमक चुकाने में।

हैं द्रोण बहुत से पर सबने पैरों में घुंघरू बांध लिए,
दरबार सजा है वीरों का लाशों सी विकट सड़ांध लिए।

हे भीम सिंहासन से पहले अब तुम ही न्याय करो,
दुर्योधन की जंघा तोड़ो दुश्शासन का उपाय करो।

हे अभिमन्यु इस बार तुम्हीं इस कर्ण की गर्दन काटोगे,
हे गंगापुत्र भला कब तक सत्ता के तलवे चाटोगे।

हे पार्थ तुम्हारे तीरों से पट जानी चहिए अब धरती,
ये कार्य तनिक पहले करते तो फिर इक गुड़िया ना मरती।

  - विशाल कुमार
# हाथरस

विदुर बना है संरक्षक दुर्योधन का दुश्शासन का, कुछ लाभ नहीं पांचाली अब कान्हा के आवाहन का। अब चीरहरण से आगे बढ़ ये प्राण हरण कर लेते हैं, निर्भय होकर स्त्री का ये 'निजीकरण' कर लेते हैं। हैं भीष्म आज भी दृढ़ प्रतिज्ञ सत्ता को चमकाने में, सब कर्ण जुटे हैं दुर्योधन का फिर से नमक चुकाने में। हैं द्रोण बहुत से पर सबने पैरों में घुंघरू बांध लिए, दरबार सजा है वीरों का लाशों सी विकट सड़ांध लिए। हे भीम सिंहासन से पहले अब तुम ही न्याय करो, दुर्योधन की जंघा तोड़ो दुश्शासन का उपाय करो। हे अभिमन्यु इस बार तुम्हीं इस कर्ण की गर्दन काटोगे, हे गंगापुत्र भला कब तक सत्ता के तलवे चाटोगे। हे पार्थ तुम्हारे तीरों से पट जानी चहिए अब धरती, ये कार्य तनिक पहले करते तो फिर इक गुड़िया ना मरती। - विशाल कुमार # हाथरस

क्या वास्तविकता ऐसी ही हैं ???
प्रतिक्रिया अवश्य दें ।🙏🙏🙏

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DEVENDRA KUMAR विवेकानंद आर्य (Poetry Bhaiya) Kumar Neeraj Ritika Singh A@isha_rana

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