पुरानी बातों को चलो फिर से जगाते हैं छुपकर फिर ताश | हिंदी शायरी

"पुरानी बातों को चलो फिर से जगाते हैं छुपकर फिर ताश की बाजी सजाते हैं घाटपर दोस्तों की महफिल बुलाते हैं फिर से एक दूसरे का मजाक बनाते हैं फिर से एक बार खुलकर मुस्कुराते हैं किसी बड़े मैदान में नहीं उसी आंगन में एक बार फिर से Cricket Bat उठाते हैं ©kartavay"

 पुरानी बातों को चलो फिर से जगाते हैं
छुपकर फिर ताश की बाजी सजाते हैं
घाटपर  दोस्तों की महफिल बुलाते हैं
फिर से एक दूसरे का मजाक बनाते हैं
फिर से एक बार खुलकर मुस्कुराते हैं
किसी बड़े मैदान में नहीं उसी आंगन में
 एक बार फिर से Cricket Bat उठाते हैं

©kartavay

पुरानी बातों को चलो फिर से जगाते हैं छुपकर फिर ताश की बाजी सजाते हैं घाटपर दोस्तों की महफिल बुलाते हैं फिर से एक दूसरे का मजाक बनाते हैं फिर से एक बार खुलकर मुस्कुराते हैं किसी बड़े मैदान में नहीं उसी आंगन में एक बार फिर से Cricket Bat उठाते हैं ©kartavay

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