एक मौसम अपने अंदर कर आया हु जो भी जज़्बात थे उन्हे | हिंदी Shayari

"एक मौसम अपने अंदर कर आया हु जो भी जज़्बात थे उन्हें जब्त कर आया हु बेफिक्री के पल बड़े याद आते हो वोह जबसे खुदको उनसे जुदा कर आया हु मे फ़कीर मुसलसल खुशनुमा रेहेता था अब मायुस हु, जबसे खुदको अमीर कर आया हु बड़ी उलझनों से चंद अल्फाज निकलते है यह में ही हु या में खुदको कोई और कर आया हु सुना है जमाने से एक हुनर कर आया हु, जबसे सुलझा हु तबसे तन्हाई में अपना घर कर आया हु यह मंजिल भी लापता है मेरे कलम की जो अब गजलों के खातिर हर पन्नों पर में 'आगम' कर आया हु ~आगम ©aagam_bamb"

 एक मौसम अपने अंदर कर आया हु
जो भी जज़्बात थे उन्हें जब्त कर आया हु

बेफिक्री के पल बड़े याद आते हो वोह
जबसे खुदको उनसे जुदा कर आया हु 

मे फ़कीर मुसलसल खुशनुमा रेहेता था
अब मायुस हु, जबसे खुदको अमीर कर आया हु

बड़ी उलझनों से चंद अल्फाज निकलते है 
यह में ही हु या में खुदको कोई और कर आया हु

सुना है जमाने से एक हुनर कर आया हु, जबसे 
सुलझा हु तबसे तन्हाई में अपना घर कर आया हु

यह मंजिल भी लापता है मेरे कलम की जो अब 
गजलों के खातिर हर पन्नों पर में 'आगम' कर आया हु

~आगम

©aagam_bamb

एक मौसम अपने अंदर कर आया हु जो भी जज़्बात थे उन्हें जब्त कर आया हु बेफिक्री के पल बड़े याद आते हो वोह जबसे खुदको उनसे जुदा कर आया हु मे फ़कीर मुसलसल खुशनुमा रेहेता था अब मायुस हु, जबसे खुदको अमीर कर आया हु बड़ी उलझनों से चंद अल्फाज निकलते है यह में ही हु या में खुदको कोई और कर आया हु सुना है जमाने से एक हुनर कर आया हु, जबसे सुलझा हु तबसे तन्हाई में अपना घर कर आया हु यह मंजिल भी लापता है मेरे कलम की जो अब गजलों के खातिर हर पन्नों पर में 'आगम' कर आया हु ~आगम ©aagam_bamb

#citylight

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