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aagam_bamb Lives in Nashik, Maharashtra, India

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जज़्बातों को मेरे पैग़ाम पोहोचता है क्या दिल तू ही बता क़ासिद असल में होता है क्या मुद्दतों से आसमान देखा नही, सर झुकाए खड़ा है यह बता क्या तेरा गिरेबान इतना मैला हो चुका है क्या मंदिरों के चक्कर लगाए रहता है सुबह शाम में यह खुदा तेरी हर बात रोज रोज सुनता है क्या गली मोहल्ले में बड़ा मुस्कुराए घूमता रहता है अपने चेहरे से तू इतना गम छुपाता है क्या हर अनजान को उनकी राह दिखाते रहता है बिना इश्क के इंसान इतना तन्हा होता है क्या बड़े सुर्ख़ियों में थे उसके ख्वाब चंद लम्हों के लिए अब नाकामियाब है तो फिरसे उसके चर्चे होते है क्या आजकल सुना है सबसे हम दर्दी जताने लगा है 'आगम' क्या तू वाकई इतना तन्हा होता है क्या ~आगम ©aagam_bamb

#walkalone  जज़्बातों को मेरे पैग़ाम पोहोचता है क्या
दिल तू ही बता क़ासिद असल में होता है क्या

मुद्दतों से आसमान देखा नही, सर झुकाए खड़ा है
यह बता क्या तेरा गिरेबान इतना मैला हो चुका है क्या 

मंदिरों के चक्कर लगाए रहता है सुबह शाम में 
यह खुदा तेरी हर बात रोज रोज सुनता है क्या 

गली मोहल्ले में बड़ा मुस्कुराए घूमता रहता है
अपने चेहरे से तू इतना गम छुपाता है क्या

हर अनजान को उनकी राह दिखाते रहता है
बिना इश्क के इंसान इतना तन्हा होता है क्या

बड़े सुर्ख़ियों में थे उसके ख्वाब चंद लम्हों के लिए
अब नाकामियाब है तो फिरसे उसके चर्चे होते है क्या

आजकल सुना है सबसे हम दर्दी जताने लगा है
'आगम' क्या तू वाकई इतना तन्हा होता है क्या

~आगम

©aagam_bamb

#walkalone

7 Love

एक मौसम अपने अंदर कर आया हु जो भी जज़्बात थे उन्हें जब्त कर आया हु बेफिक्री के पल बड़े याद आते हो वोह जबसे खुदको उनसे जुदा कर आया हु मे फ़कीर मुसलसल खुशनुमा रेहेता था अब मायुस हु, जबसे खुदको अमीर कर आया हु बड़ी उलझनों से चंद अल्फाज निकलते है यह में ही हु या में खुदको कोई और कर आया हु सुना है जमाने से एक हुनर कर आया हु, जबसे सुलझा हु तबसे तन्हाई में अपना घर कर आया हु यह मंजिल भी लापता है मेरे कलम की जो अब गजलों के खातिर हर पन्नों पर में 'आगम' कर आया हु ~आगम ©aagam_bamb

#citylight  एक मौसम अपने अंदर कर आया हु
जो भी जज़्बात थे उन्हें जब्त कर आया हु

बेफिक्री के पल बड़े याद आते हो वोह
जबसे खुदको उनसे जुदा कर आया हु 

मे फ़कीर मुसलसल खुशनुमा रेहेता था
अब मायुस हु, जबसे खुदको अमीर कर आया हु

बड़ी उलझनों से चंद अल्फाज निकलते है 
यह में ही हु या में खुदको कोई और कर आया हु

सुना है जमाने से एक हुनर कर आया हु, जबसे 
सुलझा हु तबसे तन्हाई में अपना घर कर आया हु

यह मंजिल भी लापता है मेरे कलम की जो अब 
गजलों के खातिर हर पन्नों पर में 'आगम' कर आया हु

~आगम

©aagam_bamb

#citylight

10 Love

एक शाम दिलचस्प मंजर के नाम कर आया चीख उठे सारे ख्वाब जब कुछ काम कर आया यह बुलंदियों की माला कुर्बान रातों से, जलते धूप से सीची है, जो आज पूरी आराम-ए-श्याम कर आया हर निगाहों के नजर से खुदको भूल गया था वो शक्स आज इतना ऊंचा है की हर निगाह में मकाम कर आया न कोई आगे न कोई पीछे था वो जो उपर से देख रहा था वो भी इस कहानी के किरदार को झुकके सलाम कर आया हर मोड़ सफर का अहम था जिन्दगी के लिए जो हर अधुरा ख्वाब टूटकर ही 'आगम' को जमाने में, तमाम कर आया ~आगम ©aagam_bamb

#Light  एक शाम दिलचस्प मंजर के नाम कर आया 
चीख उठे सारे ख्वाब जब कुछ काम कर आया

यह बुलंदियों की माला कुर्बान रातों से, जलते धूप
से सीची है, जो आज पूरी आराम-ए-श्याम कर आया

हर निगाहों के नजर से खुदको भूल गया था वो शक्स 
आज इतना ऊंचा है की हर निगाह में मकाम कर आया

न कोई आगे न कोई पीछे था वो जो उपर से देख रहा था
वो भी इस कहानी के किरदार को झुकके सलाम कर आया

हर मोड़ सफर का अहम था जिन्दगी के लिए जो हर अधुरा
ख्वाब टूटकर ही 'आगम' को जमाने में, तमाम कर आया 

~आगम

©aagam_bamb

#Light

8 Love

मुआयना रंग देखकर करता है जमाना वरना हर मोहल्ले में कौवा मशहूर होता ~आगम ©aagam_bamb

 मुआयना रंग देखकर करता है जमाना
वरना हर मोहल्ले में कौवा मशहूर होता
~आगम

©aagam_bamb

मुआयना रंग देखकर करता है जमाना वरना हर मोहल्ले में कौवा मशहूर होता ~आगम ©aagam_bamb

9 Love

हर कहानी के कीरदार का मरकज बन जाता हु वोह ख़ास है सोचकर में तरकश बन जाता हु कुर्बत इंसानों से, समझदारी से कर नादान-ए-दिल वरना हिज्र में हर बार, में ही पत्थर बन जाता हु यह शाम आंखों से देखती है और सब छुपाती है इतना नजरे चुराती है की बार बार लाश बन जाता हु यह उम्मीद रिश्ते की टिकी हुई है दबे हुए अधरों पर जहां में अपने लफ्जों की ख़ामोशी रख, घर बन जाता हु कासिद हर फासला मिटाता है कौवों से, कबूतरों से जो हर बार में उसके छत का छोटा सा दाना बन जाता हु एक शक्स को यादों के सहारे हर शब जहन में उतारता हु में इतना बर्बाद होता हु की हर शब शराब बन जाता हु 'आगम' भीड़ में रहना दरिया से भी होता है मुश्किल, की अरमानों को कुचलकर हर रोज खुदका खुदा बन जाता हु ~आगम ©aagam_bamb

 हर कहानी के कीरदार का मरकज बन जाता हु
वोह ख़ास है सोचकर में तरकश बन जाता हु

कुर्बत इंसानों से, समझदारी से कर नादान-ए-दिल
वरना हिज्र में हर बार, में ही पत्थर बन जाता हु

यह शाम आंखों से देखती है और सब छुपाती है
इतना नजरे चुराती है की बार बार लाश बन जाता हु

यह उम्मीद रिश्ते की टिकी हुई है दबे हुए अधरों पर
जहां में अपने लफ्जों की ख़ामोशी रख, घर बन जाता हु

कासिद हर फासला मिटाता है कौवों से, कबूतरों से
जो हर बार में उसके छत का छोटा सा दाना बन जाता हु

एक शक्स को यादों के सहारे हर शब जहन में उतारता हु
में इतना बर्बाद होता हु की हर शब शराब बन जाता हु

'आगम' भीड़ में रहना दरिया से भी होता है मुश्किल, की
अरमानों को कुचलकर हर रोज खुदका खुदा बन जाता हु

~आगम

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#Love

8 Love

इश्क के दौड़ में हमेशा अव्वल होता हु सारी हदें पार कर लेता हु बस एक इजहार का दरिया पार नहीं होता यह मुसलसल कहानी का अंजाम जानता हु मगर फिर भी वो टूटा हुआ किरदार निभा लेता हु जब बारिश बरसती है में उसका छाता बन कर ,खुद बुंदों से भीग जाता हु वो गुमान है मेरे वजूद का .. वो ख्वाब है हर शब का वो आइना है मेरे तबस्सुम का वो मिट्टी है मेरे दरख़्त का वो चांद है मेरे हिस्से का वो सूरज है मेरे रोशनी का.. वो इश्क है मेरे अधूरे इश्क का वो मुक्कमल है मेरे धड़कनों का यह शेर सारे लिखकर छोड़ देता हु जैसे हर बार उससे इजहार करना छोड़ देता हु ~आगम ©aagam_bamb

#Rose  इश्क के दौड़ में हमेशा अव्वल होता हु
सारी हदें पार कर लेता हु
बस एक इजहार का दरिया पार नहीं होता

यह मुसलसल कहानी का अंजाम जानता हु
मगर फिर भी वो टूटा हुआ किरदार निभा लेता हु

जब बारिश बरसती है
 में उसका छाता बन कर ,खुद बुंदों से भीग जाता हु

वो गुमान है मेरे वजूद का ..
वो ख्वाब है हर शब का
वो आइना है मेरे तबस्सुम का
वो मिट्टी है मेरे दरख़्त का
वो चांद है मेरे हिस्से का
वो सूरज है मेरे रोशनी का..
वो इश्क है मेरे अधूरे इश्क का
वो मुक्कमल है मेरे धड़कनों का

यह शेर सारे लिखकर छोड़ देता हु
जैसे हर बार उससे इजहार करना छोड़ देता हु

~आगम

©aagam_bamb

#Rose

12 Love

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