जज़्बातों को मेरे पैग़ाम पोहोचता है क्या दिल तू ही | हिंदी Shayari

"जज़्बातों को मेरे पैग़ाम पोहोचता है क्या दिल तू ही बता क़ासिद असल में होता है क्या मुद्दतों से आसमान देखा नही, सर झुकाए खड़ा है यह बता क्या तेरा गिरेबान इतना मैला हो चुका है क्या मंदिरों के चक्कर लगाए रहता है सुबह शाम में यह खुदा तेरी हर बात रोज रोज सुनता है क्या गली मोहल्ले में बड़ा मुस्कुराए घूमता रहता है अपने चेहरे से तू इतना गम छुपाता है क्या हर अनजान को उनकी राह दिखाते रहता है बिना इश्क के इंसान इतना तन्हा होता है क्या बड़े सुर्ख़ियों में थे उसके ख्वाब चंद लम्हों के लिए अब नाकामियाब है तो फिरसे उसके चर्चे होते है क्या आजकल सुना है सबसे हम दर्दी जताने लगा है 'आगम' क्या तू वाकई इतना तन्हा होता है क्या ~आगम ©aagam_bamb"

 जज़्बातों को मेरे पैग़ाम पोहोचता है क्या
दिल तू ही बता क़ासिद असल में होता है क्या

मुद्दतों से आसमान देखा नही, सर झुकाए खड़ा है
यह बता क्या तेरा गिरेबान इतना मैला हो चुका है क्या 

मंदिरों के चक्कर लगाए रहता है सुबह शाम में 
यह खुदा तेरी हर बात रोज रोज सुनता है क्या 

गली मोहल्ले में बड़ा मुस्कुराए घूमता रहता है
अपने चेहरे से तू इतना गम छुपाता है क्या

हर अनजान को उनकी राह दिखाते रहता है
बिना इश्क के इंसान इतना तन्हा होता है क्या

बड़े सुर्ख़ियों में थे उसके ख्वाब चंद लम्हों के लिए
अब नाकामियाब है तो फिरसे उसके चर्चे होते है क्या

आजकल सुना है सबसे हम दर्दी जताने लगा है
'आगम' क्या तू वाकई इतना तन्हा होता है क्या

~आगम

©aagam_bamb

जज़्बातों को मेरे पैग़ाम पोहोचता है क्या दिल तू ही बता क़ासिद असल में होता है क्या मुद्दतों से आसमान देखा नही, सर झुकाए खड़ा है यह बता क्या तेरा गिरेबान इतना मैला हो चुका है क्या मंदिरों के चक्कर लगाए रहता है सुबह शाम में यह खुदा तेरी हर बात रोज रोज सुनता है क्या गली मोहल्ले में बड़ा मुस्कुराए घूमता रहता है अपने चेहरे से तू इतना गम छुपाता है क्या हर अनजान को उनकी राह दिखाते रहता है बिना इश्क के इंसान इतना तन्हा होता है क्या बड़े सुर्ख़ियों में थे उसके ख्वाब चंद लम्हों के लिए अब नाकामियाब है तो फिरसे उसके चर्चे होते है क्या आजकल सुना है सबसे हम दर्दी जताने लगा है 'आगम' क्या तू वाकई इतना तन्हा होता है क्या ~आगम ©aagam_bamb

#walkalone

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