अनुप्रास का देवदास
बारंबार आयेंगे एवम् मरेंगे बारंबार देवदास,
रह जायेंगे मात्र उनके काव्य रूपी अनुप्रास।
दोबारा दूसरे दीवाने आयेंगे जो पायेंगे कुछ
भी नहीं तो बुझायेंगे मात्र अनुप्रास से प्यास।
यही सब सोचकर सुबह से तिमिर तक मुझे
नींद नहीं आती तो हो जाता हूँ मैं भी उदास।
...✍️विकास साहनी
©Vikas Sahni
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