हैं हक मेरा भी तुम्हैं करीब सें निहारनें का, तुम्ह | हिंदी शायरी

"हैं हक मेरा भी तुम्हैं करीब सें निहारनें का, तुम्हैं बाहों में भरकर प्यार करनें का, सुकुन नहीं तुम बिन इक दफ़ा दहर में उतर आना, बस इक दफ़ा ऐ चांद मेरे घर में उतर आना,"

 हैं हक मेरा भी तुम्हैं करीब सें निहारनें का,
तुम्हैं बाहों में भरकर प्यार करनें का,
सुकुन नहीं तुम बिन इक दफ़ा दहर में उतर आना,
बस इक दफ़ा ऐ चांद मेरे घर में उतर आना,

हैं हक मेरा भी तुम्हैं करीब सें निहारनें का, तुम्हैं बाहों में भरकर प्यार करनें का, सुकुन नहीं तुम बिन इक दफ़ा दहर में उतर आना, बस इक दफ़ा ऐ चांद मेरे घर में उतर आना,

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