कुत्तों की भरमार, किसको है दरकार, अराजक हैं | हिंदी कविता

"कुत्तों की भरमार, किसको है दरकार, अराजक हैं तत्व, न्यायालय लाचार, अनुशासन कमज़ोर, सोई है सरकार, अशिक्षित सब लोग, बेबस घर परिवार, कुनबा बना समाज, लालच लोभ अपार, सत्ता पाना लक्ष्य, मानवता बेज़ार, नारी का सम्मान, स्वर्ग बने घरबार, धरती का उपकार, रक्खो नहीं उधार, 'गुंजन' मन में प्रीत, सही रखो व्यवहार, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज ©Shashi Bhushan Mishra"

 कुत्तों  की  भरमार, 
किसको है दरकार,

अराजक  हैं   तत्व, 
न्यायालय   लाचार,

अनुशासन कमज़ोर, 
सोई    है    सरकार,

अशिक्षित सब लोग,
बेबस  घर   परिवार,

कुनबा बना समाज, 
लालच लोभ अपार,

सत्ता   पाना   लक्ष्य, 
मानवता      बेज़ार,

नारी   का   सम्मान, 
स्वर्ग   बने   घरबार,

धरती  का  उपकार, 
रक्खो  नहीं   उधार,

'गुंजन'  मन में प्रीत, 
सही रखो  व्यवहार,
--शशि भूषण मिश्र 
  'गुंजन' प्रयागराज

©Shashi Bhushan Mishra

कुत्तों की भरमार, किसको है दरकार, अराजक हैं तत्व, न्यायालय लाचार, अनुशासन कमज़ोर, सोई है सरकार, अशिक्षित सब लोग, बेबस घर परिवार, कुनबा बना समाज, लालच लोभ अपार, सत्ता पाना लक्ष्य, मानवता बेज़ार, नारी का सम्मान, स्वर्ग बने घरबार, धरती का उपकार, रक्खो नहीं उधार, 'गुंजन' मन में प्रीत, सही रखो व्यवहार, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज ©Shashi Bhushan Mishra

#किसको है दरकार#

People who shared love close

More like this

Trending Topic