पंख
उड़ जानेदे ए हमसफ़र अभी तो पंख फैलाए हैं यूं ना रोक
इन राहों में अभी तो मुस्कुराए हैं थोड़ी सी हुई है बारिश,
थोड़ा भीग जाने दे, माना की मुश्किल बड़ी है मंजिलें ,
थोड़ा तो मंजिल के करीब जाने दे,
बिछड़ जाए कभी इन राहों में थोड़ा सा सुकून पाने दे,
जिंदगी का यह सफ़र आसान नहीं होता,
कभी आशा तो कभी निराशा, लेकिन इस सफ़र में सवार होने तो दे,
मंजिल मिले या ना मिले इन राहों में, रास्तों पर तो जाने दे,
उड़ जाने दे ए हमसफ़र अभी तो पंख फैलाए यूं ना रोक
इन राहों में के अभी तो मुस्कुराए हैं।
_vinita vinay panchal ✍️
©-vinita vinay panchal
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