बन के हमराह साथ चलते हैं, ..मुस्कराते हैं, रास्ता | हिंदी शायरी

"बन के हमराह साथ चलते हैं, ..मुस्कराते हैं, रास्ता पूंछों उनसे तो वही,राह से भटकाते हैं। न जाने तेरे दिए हुए ये जख्म,क्यों नहीं भरते, और मेरी वफाओं के ये दरख़्त,सूख जाते हैं।। -नीरज अकेला ©Kumar Neeraj"

 बन के हमराह साथ चलते हैं, ..मुस्कराते हैं,
रास्ता पूंछों उनसे तो वही,राह से भटकाते हैं।
न जाने तेरे दिए हुए ये जख्म,क्यों नहीं भरते,
और मेरी वफाओं के ये दरख़्त,सूख जाते हैं।।
-नीरज अकेला

©Kumar Neeraj

बन के हमराह साथ चलते हैं, ..मुस्कराते हैं, रास्ता पूंछों उनसे तो वही,राह से भटकाते हैं। न जाने तेरे दिए हुए ये जख्म,क्यों नहीं भरते, और मेरी वफाओं के ये दरख़्त,सूख जाते हैं।। -नीरज अकेला ©Kumar Neeraj

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