हम तो हंसते गाते ही चले थे रास्ते परखने को, शायद ह | हिंदी कविता

"हम तो हंसते गाते ही चले थे रास्ते परखने को, शायद हमें परखने मौसम बिगड़ गया। कल तक लगा करता था कद आसमान का ऊंचा, लेकिन जब हम उड़े तो ये कम पड़ गया। © अश्वनी दीक्षित"

 हम तो हंसते गाते ही चले थे रास्ते परखने को,
शायद हमें परखने मौसम बिगड़ गया।
कल तक लगा करता था कद आसमान का ऊंचा,
लेकिन जब हम उड़े तो ये कम पड़ गया।
© अश्वनी दीक्षित

हम तो हंसते गाते ही चले थे रास्ते परखने को, शायद हमें परखने मौसम बिगड़ गया। कल तक लगा करता था कद आसमान का ऊंचा, लेकिन जब हम उड़े तो ये कम पड़ गया। © अश्वनी दीक्षित

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