Ashwani Dixit

Ashwani Dixit Lives in Noida, Uttar Pradesh, India

Poet, Writer, Blogger, Follower of Modern and Ancient Science (Sanatan Dharma), Observer of World Politics, Pure Vegetarian, Teetotaler

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खुद को याद दिलाते रहिए जीवन गाथा गाते रहिए रिश्तों के नाजुक बंधन हैं थोड़ा प्यार जताते रहिए जो तुमसे रूठे बैठे हैं बार बार मनाते रहिए दूरी यदि ज्यादा हो जाये अपने पास बुलाते रहिए भले कभी सच न हो पाएं खुद को स्वप्न दिखाते रहिए - 1 अगस्त, 2021 ©Ashwani Dixit

#कविता #alone  खुद को याद दिलाते रहिए
जीवन गाथा गाते रहिए

रिश्तों के नाजुक बंधन हैं
थोड़ा प्यार जताते रहिए

जो तुमसे रूठे बैठे हैं
बार बार मनाते रहिए

दूरी यदि ज्यादा हो जाये
अपने पास बुलाते रहिए

भले कभी सच न हो पाएं
खुद को स्वप्न दिखाते रहिए

- 1 अगस्त, 2021

©Ashwani Dixit

#alone

6 Love

ख़्वाबों में उतर जाऊँ यूँ आईना लेकर मेरे हमदम मुझे मेरा अक्स लौटा दे। मौज में झूमूँ भी यूँ तेरी तेरी बाहों में, रहा मरहूम मुझे मेरा रक़्स लौटा दे।। ©Ashwani Dixit

#कविता #feelings  ख़्वाबों में उतर जाऊँ यूँ आईना लेकर
मेरे हमदम मुझे मेरा अक्स लौटा दे।

मौज में झूमूँ भी यूँ तेरी तेरी बाहों में,
रहा मरहूम मुझे मेरा रक़्स लौटा दे।।

©Ashwani Dixit

#feelings

6 Love

मैं तुम्हारा गीत हूँ और मैं तुम्हारा साज भी हूँ जितना था कल तक तुम्हारा, उतनी ही मैं आज भी हूँ व्योम में रश्मि चमकतीं, रश्मियों का आदि मैं हूँ मैं निखरता रश्मियों से, सुरमई आह्लाद भी हूँ मैं तुम्हारी ज्योति में हूँ, जलता भी मैं ही निरन्तर वह अनादि मौन मैं हूँ और अखंडित नाद भी हूँ मैं तुम्हारा आभामंडल, मैं ही तो मुस्कान में हूँ मैं तुम्हारा हूँ समर्पण, मैं ही तो अभिमान भी हूँ मैं तुम्हारे भाव में हूँ और तुम्हारा गान मैं हूँ प्राण तुम मेरे हृदय की और तुम्हारे प्राण मैं हूँ 14 अप्रैल, 2021 ©Ashwani Dixit

#कविता  मैं तुम्हारा गीत हूँ और मैं तुम्हारा साज भी हूँ
जितना था कल तक तुम्हारा, उतनी ही मैं आज भी हूँ

व्योम में रश्मि चमकतीं, रश्मियों का आदि मैं हूँ
मैं निखरता रश्मियों से, सुरमई आह्लाद भी हूँ

मैं तुम्हारी ज्योति में हूँ, जलता भी मैं ही निरन्तर
वह अनादि मौन मैं हूँ और अखंडित नाद भी हूँ

मैं तुम्हारा आभामंडल, मैं ही तो मुस्कान में हूँ
मैं तुम्हारा हूँ समर्पण, मैं ही तो अभिमान भी हूँ

मैं तुम्हारे भाव में हूँ और तुम्हारा गान मैं हूँ
प्राण तुम मेरे हृदय की और तुम्हारे प्राण मैं हूँ

14 अप्रैल, 2021

©Ashwani Dixit

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7 Love

#कविता #dixitg

जिन पन्नों में तुमने गुलाब रखे थे #dixitg

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हम तो हंसते गाते ही चले थे रास्ते परखने को, शायद हमें परखने मौसम बिगड़ गया। कल तक लगा करता था कद आसमान का ऊंचा, लेकिन जब हम उड़े तो ये कम पड़ गया। © अश्वनी दीक्षित

#कविता  हम तो हंसते गाते ही चले थे रास्ते परखने को,
शायद हमें परखने मौसम बिगड़ गया।
कल तक लगा करता था कद आसमान का ऊंचा,
लेकिन जब हम उड़े तो ये कम पड़ गया।
© अश्वनी दीक्षित

हम तो हंसते गाते ही चले थे रास्ते परखने को, शायद हमें परखने मौसम बिगड़ गया। कल तक लगा करता था कद आसमान का ऊंचा, लेकिन जब हम उड़े तो ये कम पड़ गया। © अश्वनी दीक्षित

5 Love

जीवन बीता जीवों को हत कर, रक्त पिपासु मन को मथ कर, तुम्हें खुशी हो इसीलिए बस, क्या पाया हथिनी का वध कर? - अश्वनी दीक्षित

#elephant  जीवन बीता जीवों को हत कर,
रक्त पिपासु मन को मथ कर,
तुम्हें खुशी हो इसीलिए बस,
क्या पाया हथिनी का वध कर?
- अश्वनी दीक्षित

#elephant

9 Love

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